मोहब्बत की वो सौगातें (मुक्तक)
. एक मुक्तक . . . . .
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बहुत ही याद आती हैं
तुम्हारी प्यार की बातें ।
मुझे अब तक जगाती हैं
अधूरी वस्ल की रातेँ ।।
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निशाँ दिल के दिखा देंगे
तुझे अगले जन्म में भी
संजोकर मैंने रखी हैं
मोहब्बत की वो सौगातें ।।
. . . . . . . राम दीक्षित ‘आभास‘