अब युद्ध ही है आखिरी रास्ता
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का व्यक्तित्व एक सशक्त नेता का रहा है , देश ने हमेशा से उनमे एक ऐसा व्यक्तित्व देखा है जो जरूरत पड़ने पर कभी कठोर से कठोर निर्णय लेने की क्षमता रखता है , 26 मई , 2014 को जब तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार भारी बहुमत से भारत में काबिज हुई तो अधिकांश लोगो का ऐसा मानना था कि यह एक हिंदूवादी सरकार होगी और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम राष्ट्र से संबध बद से बद्तर होते चले जाएंगे , किंतु नरेन्द्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में ही विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के मुखिया संग पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित कर सबको चौका दिया , सिर्फ इतना ही नही , नवाज शरीफ ने आमंत्रण स्वीकार भी किया , दोनों देशो के प्रधानमंत्री ने एक दूसरे को उपहार देकर यह संकेत दिये कि भारत – पाकिस्तान संबंधो का एक नया अध्याय शुरू होने वाला है ।
सनद रहे ! मोदी सरकार के सत्ता पर काबिज होने के पहले यूँ पी ए के कार्यकाल के समय , भारत के दो सैनिको का सर काटने की घटना घटित हुई थी , जिससे संपूर्ण भारत में पाकिस्तान के प्रति बहुत रोष था और नरेन्द्र मोदी लगातार अपने चुनाव प्रचार में पाकिस्तान को सबक सिखाने तथा अपने 56 इंच के सीने की बात दोहराते रहे थे , ऐसे में सत्ता पर काबिज होते ही नरेंद्र मोदी जी का उठाया गया एक दूरदर्शी कदम था , अब यह स्पष्ट था कि भारत की कमान ऐसे व्यक्ति के हाथ में है जो भावना में बहकर नही , कूटनीति से अपने दाॅव चलेगा ।
अब नरेन्द्र मोदी जी के 2014 से आज तक के कार्यकाल का अवलोकन करे तो भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होने तमाम आलोचनाओं के बावजूद भरपूर कोशिश की है कि भारत पाकिस्तान संबंध में मधुरता आए , भारत के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद तकरीबन 5 बार नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मुलाकात की और हर बार कोशिश अपने तीर को तरकश में रख गले मिलने की ही रही है जिसका सबसे प्रज्वलंत उदाहरण है, माननीय प्रधानमंत्री जी का कुछ महीनों पहले अफगानिस्तान दौरा को विस्तार देते हुए अचानक लाहौर दौरा पर चले जाना , हालाकि दोनों प्रधानमंत्री ने इस दौरे को व्यक्तिगत बताया, नरेन्द्र मोदी ने नवाज शरीफ के माता से आशिर्वाद लिया और उनके नातिन को भी शादी की बधाई दी , हलांकि प्रधानमंत्री जी के इस दौरे की आलोचना भी खूब हुई लेकिन अक्सर प्रोटोकॉल से हटकर काम करने वाले नरेन्द्र मोदी ने इससे सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं समस्त विश्व को यह संदेश देने की कोशिश थी कि भारत की मंशा क्या है ?
लेकिन जहाँ एक ओर नरेन्द्र मोदी दोस्ती का हाथ बढा रहे थे दूसरी तरफ हमेशा की तरह पाकिस्तान के कथनी और करनी में फर्क दिखा , पाकिस्तान ने बातचीत के साथ प्रॉक्सी हमला भी जारी रखा , अगर नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले का अवलोकन करे तो कई बार पाकिस्तान से आए आतंकी भारत भूमि के अलग अलग हिस्से में हमला कर जान माल की क्षति पहुंचाते रहे है, लेकिन अगर सिर्फ पांच बड़े हमले की बात करे तो सबसे पहले नरेन्द्र मोदी के पदासीन होने के बाद दिनांक 20 मार्च 2015 को जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के राजबाग पुलिस स्टेशन पर आतंकियों ने सेना की वर्दी में हमला बोल दिया , इस हमले में तकरीबन 6 पुलिस कर्मी शाहिद हो गए और 2 आतंकी भी मारे गए,
दूसरा आतंकी हमला तब हुआ जब पंजाब के गुरदासपुर में दिनांक 27 जुलाई 2015 को आतंकवादी ने फिर सेना की ड्रेस में दीना नगर पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और तकरीबन 7 लोग मारे गए जिसमे वहां के एस. पी . भी शामिल थे , कई अन्य लोग भी घायल हुए ।
2016 के शुरुआत में ही 2 जनवरी को पंजाब के पठानकोट के इंडियन एयरफोर्स बेस पर हमला हुआ, यह तीसरा बड़ा हमला था , जिसमे तकरीबन 7 जवान शहीद हो गए ।
5 अगस्त 2016 को भी असम के कोकराझार में आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड और AK 47 से हमला बोल दिया और दर्जनों लोग मारे गए और घायल हो गए ।
गत दिनों दिनांक 18 सितंबर 2016 , चार आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के ” उरी ” में सेना के मुख्यालय पर हमला बोल दिया , आतंकी मुख्यालय के अंदर घुस आए और बम से हमला बोला जिससे आग लग गई , अधिकतर जवान आग की चपेट में आ गए, 18 सैनिक शाहिद हो गए , हालाकि चारो आतंकवादियों को भी मार गिराया गया लेकिन इस हमले ने तमाम हिंदुस्तानियों को रोष से भर दिया , भारत समेत विश्व के कई देशो में इस हरकत की खूब निंदा भी कई , भारत के राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री समेत अनेक नेताओ ने घोर भर्त्सना की , देश के कई शहरों में पाकिस्तान विरोधी रैलियाँ निकाली गई तथा पाकिस्तान के झंडे भी जलाए गए , ऐसी हालत में हर तरफ से आवाज उठा रही है कि अब और धैर्य नही अपितु पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने का वक्त आ गया है ।
पाकिस्तान के तमाम क्रियाकलापों और भारत के जनता की भावना को देखते हुए समझे की जरूरत यह है कि ” क्या युद्ध ही अब आखिरी विकल्प है ? ”
अगर भारत पाकिस्तान के अस्त्र शस्त्र की संख्या का तुलनात्मक अध्ययन करे तो हर क्षेत्र में भारत का पलड़ा भारी है चाहे टैंकर, तोपों, मिसाइल या सैनिकों की संख्या क्यूँ न हो पाकिस्तान भारत के सामने बौना दिखता है और इतिहास साक्षी है जब जब भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ है पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा है किंतु अगर मानवीय दृष्टि से देखे तो युद्ध किसी के भी हित में नही होता और हमेशा ही विनाशकारी और विध्वंसकारी होता है, तो फिर ऐसे मसले का हल क्या है ? क्या हम यूँ ही मानवता के नाम पर हाथ पर हाथ घरे बैठे रहेंगे और पाकिस्तान अगाहे बगाहे घुसपैठिए भेज भारत की भूमि को रक्तरंजित करते रहेंगा ऐसे में मेरा मानना है कि युद्ध को चाहकर भी बहुत अधिक दिन तक टाला नहीं जा सकता , ऐसे लगातार हो रहे हमले और हमारे सैनिकों के बंधे हाथों से सैनिकों के मनोबल टूटने की संभावना है , हाँ लेकिन एक बात सबसे महत्वपूर्ण है युद्ध कभी भी भावना की कसौटी पर लड़ना खतरनाक होता है , जरूरी है युद्ध से पहले कूटनीतिक तैयारी और दुश्मन को अलग थलग करने की कोशिश की जाए , युद्ध से पहले पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर करना भी एक बेहतर विकल्प है , जिसमे पाकिस्तान को किसी भी तरह की आर्थिक मदद बंद करना , किसी तरह के खेल में पाकिस्तान का बहिष्कार करना , देश में पाकिस्तानी कलाकारों को तवज्जों देना , ये सब तत्काल प्रभाव से बंद करना होगा ,,पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवादी प्रायोजित करने वाला देश घोषित करना तथा किसी भी स्तर की वार्ता से इंकार करना चाहिए , किसी भी हद तक जाकर बलूचिस्तान के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाकर एक और विखंडन का दंश पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका हो सकता है , कहने का तात्पर्य यह है कि पाकिस्तान पर हमले से पहले ही उसकी कमर तोड़ देना हमेशा युद्ध में लाभकारी होगा , ऐसे में जब देश के प्रधानमंत्री ने अपनी अध्यक्षता में बुलाए शीर्ष स्तरीय बैठक के बाद सेना को खुली छूट दिया है कि वो अपने विवेक से निर्णय ले , सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट रणवीर सिंह का यह बयान कि पाकिस्तान पर जवाबी कारवाई की जगह और वक्त हम तय करेंगे, प्रधानमंत्री के बयान , निर्णय और मंशा को जाहिर और पुख्ता करता है , ऐसी हालत में जब युद्ध टालना उचित नही जान पड़ता , भारत द्वारा लिया गया निर्णय बेहद सटीक और सही तभी होगा जब भारत अपनी कूटनीतिक चाल चलते हुए पाकिस्तान को सबक सिखाने से ना चुके , क्योकि पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान जैसे आतंकी भेज रहा है और वो भले ही अपनी जान गंवा रहे है लेकिन अपने काम को बखूबी अंजाम दे रहे हे , इससे पाकिस्तान का मनोबल बढा है , पाकिस्तान के आतंकी आकाओं के बढते बोल भारत को मानसिक तौर पर कमजोर करने की साजिश है , ऐसे में अब समय आ गया है पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई का अनुसरण करते हुए आदरणीय प्रधानमंत्री पाकिस्तान को अपने 56 इंच का सीना दिखा दे , क्योकि पाकिस्तान बातों से नहीं समझने वाला उसे सबक अभी ही सिखाना होगा अन्यथा धीरे धीरे आतंकवाद और पैर पसारेगा, ऐसे में कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि पाकिस्तान के साथ ” अब युद्ध ही है आखिरी रास्ता ”
अमित कु अम्बष्ट ” आमिली ”