कविता

कविता : ख़ौल रहा है खून हमारा

ख़ौल रहा है खून हमारा, दी वीरो ने कुर्बानी ।
क्यों चुप बैठे नेता सारे,  तुम्ही करो कुछ तूफ़ानी ।।
नाम मिटा दो आतंकी का, मन में जो तुमने ठानी ।
दो श्रद्धांजलि वीरो को तुम, मत भर आँखों में पानी ।।

करते खून खराबा उनके,  तो नापाक इरादे है ।
नही छोड़ना उनको यारा, उनके झूठे वादे है ।।
बात बात पे आँख दिखाये, पिद्दीभर का शैतानी ।
बात मानता जूतों की हैं, बेढंगा पाकिस्तानी ।।

सोतों को है मारा उसकी,  हस्ती आज मिटानी है ।
कर दो यह कुर्बान ज़िंदगी, ये कह रही जवानी है ।।
मर जायें या मार गिरायें, बात यही समझानी है ।
डरते नही किसी से यारा, सच्चे हिंदुस्तानी है ।।

     —  जितेंद्र “नील”
( इंदौर )

जितेन्द्र सिंह कृष्णावत 'नील सिंह'

जीतेन्द्र सिंह कृष्णावत ( नील सिंह ) शिक्षा :- बीएससी व्यवसाय :- ट्रांसपोर्ट रूचि :- पुराने हिंदी गीत एवं गज़ल सुनना पेंटिंग करना, मन के भावो को कविता में लिखना । पता :- जीतेन्द्र सिंह कृष्णावत ( नील सिंह ) 39, सुभाष नगर, देव नारायण भवन इंदौर ( म. प्र. )452003 मोब. न. :- 09575609574