कविता : ख़ौल रहा है खून हमारा
ख़ौल रहा है खून हमारा, दी वीरो ने कुर्बानी ।
क्यों चुप बैठे नेता सारे, तुम्ही करो कुछ तूफ़ानी ।।
नाम मिटा दो आतंकी का, मन में जो तुमने ठानी ।
दो श्रद्धांजलि वीरो को तुम, मत भर आँखों में पानी ।।
करते खून खराबा उनके, तो नापाक इरादे है ।
नही छोड़ना उनको यारा, उनके झूठे वादे है ।।
बात बात पे आँख दिखाये, पिद्दीभर का शैतानी ।
बात मानता जूतों की हैं, बेढंगा पाकिस्तानी ।।
सोतों को है मारा उसकी, हस्ती आज मिटानी है ।
कर दो यह कुर्बान ज़िंदगी, ये कह रही जवानी है ।।
मर जायें या मार गिरायें, बात यही समझानी है ।
डरते नही किसी से यारा, सच्चे हिंदुस्तानी है ।।
— जितेंद्र “नील”
( इंदौर )