कविता

नहीं

घड़ी सबके पास है
मगर वक्त नहीं
भीड़ लगी है , उन्माद मचा है
अनुयायी अलग-थलग, लोगों ने इतिहास रचा है
भगवान् का कोई भक्त नहीं
बुद्धिमान छाये हूए हैं
विडंबना
कोई सशक्त नहीं
पानी भरा है रगों में इनके
ज्वालामुखी-सा धधकता रक्त नहीं
दिखावे में अन्धो के पास
लिबास नहीं
भूखे घुमते धन की चाह में
मोक्ष की कोई प्यास नहीं
बंद आँखों से घिरा दुश्मनों से,
खोली तो अपना कोई पास नहीं
पाखंड पूजती जनता सारी
देख कोई सूरदास नहीं

परवीन माटी

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733