खिड़की मर गई है…
खिड़की सदा के लिए बंद हो गई है
वह अब बाहर नहीं झाँकती
ताज़े हवा से नाता टूट गया
सूरज अब दिखता नही
पेड़ पौधे ओट में चले गए
बिचारी खिड़की
उमस से लथपथ
घुट रही है
मानव को कोस रही है
जिसने
उसके आसमान को ढँक दिया है
खिड़की उजाले से ही नहीं
अंधेरों से भी नाता तोड़ चुकी है
खिड़की सदा के लिए बंद हो गई है
गोया खिड़की मर गई है ।
– जेन्नी शबनम (2. 8. 2016)
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