माँ हो न
कल शाम से वसुधा दर्द से छटपटा रही थी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसके पाँव कटकर गिर जाएँगे।
Read Moreबापू के तीनों बन्दर सालों-साल मुझमें जीते रहे मेरे आँसू तो नहीं माँगे मेरा लहू पीते रहे फिर भी मैंने
Read More1. मृत्यु सत्य है बेख़बर नहीं हैं दिल रोता है। 2. शाश्वत आत्मा अपनों का बिछोह रोती है आत्मा। 3.
Read Moreजुलाई 18, 2022 को संध्या 6 बजे ‘पृथ्वी ललित कला एवं सांस्कृतिक केंद्र’, सफ़दरजंग एन्क्लेव, नई दिल्ली में ‘मरजीना’ (क्षणिका-संग्रह)
Read More1. भोर होते ही हड़बड़ाके जागी, धूप आलसी। 2. आँखें मींचता भोरे-भोरे सूरज जगाने आया। 3. घूमता रहा सूरज निशाचर
Read More1. दे गया दग़ा रंगों का ये मौसम, मन है कोरा। 2. गुज़रा छू के कर अठखेलियाँ मौसमी-रंग। 3. होली
Read Moreभारत कोकिला सरोजिनी नायडू ने 24 दिसम्बर 1914 को श्री गोपाल कृष्ण गोखले को एक पत्र लिखा था। पत्र में
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