हाइकु/सेदोका

होली

1. वासन्ती पर्व बन्धनों से हों मुक्त देती है सीख। 2. मन झूमता रंग की है बौछार मिलते यार। 3. हँसी-मज़ाक ये रंगीन-फुहार उम्र भुलाए। 4. फाग-तरंग हँसे मन मलंग खेलो रे रंग। 5. झूमके नाची अलसाई-सी देह होली के संग। 6. नशीला रंग मन को दिया रँग आओ खेले रंग। 7. होली रंगीन भिगोया […]

कविता

चौथा बन्दर (गाँधी जयन्ती पर)

बापू के तीनों बन्दर सालों-साल मुझमें जीते रहे मेरे आँसू तो नहीं माँगे मेरा लहू पीते रहे फिर भी मैंने उनका अनुकरण-अनुसरण किया, अब वे फुदक-फुदककर बाहर आने को व्याकुल रहते हैं जब से मुझे बुरा दिखने लगा बुरा सुनाई देने लगा और फिर मैंने बुरा बोलना सीख लिया पर मैंने उन्हें जकड़ रखा है […]

पद्य साहित्य हाइकु/सेदोका

मृत्यु सत्य है

1. मृत्यु सत्य है बेख़बर नहीं हैं दिल रोता है। 2. शाश्वत आत्मा अपनों का बिछोह रोती है आत्मा। 3. काम न आता काल जब आ जाता अकूत धन। 4. यम कठोर आँसू से न पिघला, माँ-बाबा मृत। 5. समय पूर्ण, मनौती है निष्फल, यम का धर्म। 6. यम न माना करबद्ध निहोरा जीवन छीना। […]

क्षणिका पद्य साहित्य

अब्र 

1. अब्र ज़माने के हलाहल पीकर जलती-पिघलती मेरी आँखों से अब्र की नज़रें आ मिली न कुछ कहा, न कुछ पूछा वह जमकर बरसा, मैं जमकर रोई सारे विष धुल गए, सारे पीर बह गए मेरी आँखें और अब्र एक दूजे की भाषा समझते हैं। -0- 2. बादल तुम बादल बन जाओ जब कहूँ तब […]

समाचार

मरजीना का लोकार्पण

जुलाई 18, 2022 को संध्या 6 बजे ‘पृथ्वी ललित कला एवं सांस्कृतिक केंद्र’, सफ़दरजंग एन्क्लेव, नई दिल्ली में ‘मरजीना’ (क्षणिका-संग्रह) जो मेरी तीसरी पुस्तक है, का लोकार्पण हुआ। आज का दिन मेरे लिए ख़ास महत्व रखता है। 44 वर्ष पूर्व आज के दिन मेरे पिता इस संसार से विदा हुए थे। मेरे पिता की पुस्तक […]

पद्य साहित्य हाइकु/सेदोका

भोर (40 हाइकु)

1. भोर होते ही हड़बड़ाके जागी, धूप आलसी। 2. आँखें मींचता भोरे-भोरे सूरज जगाने आया। 3. घूमता रहा सूरज निशाचर भोर में लौटा। 4. हाल पूछता खिड़की से झाँकता, भोर में सूर्य। 5. गप्प करने सूरज उतावला आता है भोरे। 6. छटा बिखेरा सतरंगी सूरज नदी के संग। 7. सुहानी भोर दीपक-सा जलता नन्हा सूरज। […]

पद्य साहित्य हाइकु/सेदोका

दुलारी होली

1. दे गया दग़ा रंगों का ये मौसम, मन है कोरा। 2. गुज़रा छू के कर अठखेलियाँ मौसमी-रंग। 3. होली आई मन ने दग़ा किया उसे भगाया। 4. दुलारी होली मेरे दुःख छुपाई देती बधाई। 5. सादा-सा मन होली से मिलकर बना रंगीला। 6. होलिका-दिन होलिका जल मरी कमाके पुण्य। 7. फगुआ मन जी में […]

सामाजिक

आधी दुनिया की पूरी बातें

भारत कोकिला सरोजिनी नायडू ने 24 दिसम्बर 1914 को श्री गोपाल कृष्ण गोखले को एक पत्र लिखा था। पत्र में लिखा ”… ऐसा लगता है कि हमें भारत को उसकी बीमारी से मुक्त करने से पहले पुरुषों की एक नयी नस्ल की आवश्यकता है। हम मकसद को लेकर अधिक प्रतिबद्धता, भाषण में अधिक साहस और […]

कविता पद्य साहित्य

एक दिन मुक्ति के नाम

कभी अधिकार के लिए शुरु हुई लड़ाई हमारी ज़ात को ज़रा-सा हक़ दे गई बस एक दिन, राहत की साँसें भर लूँ ख़ूब गर्व से इठलाऊँ, ख़ूब तनकर चलूँ मेरा दिन है, आज बस मेरा ही दिन है पर रात से पहले, घर लौट आऊँ। बैनर, पोस्टर, हर जगह छा गई औरत लड़की बचाओ, लड़की […]

कथा साहित्य संस्मरण

छुप-छुप खड़े हो की मेरी लता

लता मंगेशकर का मतलब मेरे लिए है उनका गाया गीत ”चुप-चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है…।” यह गाना मेरी ज़बान पर चढ़ गया था और मैं अपने पापा को यह गाकर चिढ़ाती थी। मेरे पापा गाना सुनने के बहुत शौकीन थे; घर में एक रेडियो-रेकॉर्ड प्लेयर और ढेरों रेकॉर्ड थे। मेरे घर में दिनभर […]