दो टूक
कब तक जायेगी कहो, सीमा पर अब जान |
शेरो कुछ ऐसा करो, रहे न पाकिस्तान ||
कुत्तों की हरकत हुई, अब तो हद के पार |
दिखलाओ औकात तुम, इनको मेरे यार ||
केसरिया बाना पहन, उठा वीर तलवार |
सीना चीरो पाक का, करो वार पे वार ||
बहुत गा लिया प्रीत का, सबने मीठा गीत |
गीदड़ कभी न बन सका, शेरो का मनमीत ||
पाक नाम अपना लिया, पर हरकत नापाक |
वीर धरा के लाल अब, कर दो इसको ख़ाक ||
आतंकी पर्याय जो, वो है पाकिस्तान |
खत्म करो इस देश को, यही आज का ज्ञान ||
— नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”