चंद मुक्तक
खयालों में न तुम आती तो मैं बद नाम क्यों होता
किसी राधा के सपनों का कोई घनश्याम क्यों होता
खयालों में ही अपने हाथ में ले भाव का प्याला
अगर साकी न छलकाती उमर खय्याम क्यों होता
सच्चे सपूत आप हो है आपको नमन
जज्बे से इसी आपके महका है यह चमन
खुलकर बहिष्कृत कीजिए सामान चीन का
बदलेगी देश की दशा महकेगा यह वतन
करो बहिष्कृत आयातित सब दीप जलाओ माटी का
कर्ज चुकाओ भारत मा का वीरों की परिपाटी का
तोड़ो कमर चतुर ड्रैगन की साथ देे रहा पाक का जो
तभी बदल पाएगा नक्शा कश्मीर की घाटी का
— मनोज श्रीवास्तव