डेंगू का उपचार
यदि ना उतरता ज्वर दिखे शीत लगे दिनरात
दो कविताएं ओज की पिलवाओ हे तात
पिलवाओ हे तात न फीवर रह पाएगा
डेंगू और मियादी ज्वर भी घबराएगा
कह मनोज कवि काव्य सुधा रसपान कीजिए
ओज विरह श्रंगार हास्य का मजा लीजिए
— मनोज श्रीवास्तव, लखनऊ
यदि ना उतरता ज्वर दिखे शीत लगे दिनरात
दो कविताएं ओज की पिलवाओ हे तात
पिलवाओ हे तात न फीवर रह पाएगा
डेंगू और मियादी ज्वर भी घबराएगा
कह मनोज कवि काव्य सुधा रसपान कीजिए
ओज विरह श्रंगार हास्य का मजा लीजिए
— मनोज श्रीवास्तव, लखनऊ