कविता

कविता : सुलगती क़लम

प्यार की दास्तां लिखूं
तो महकती है कलम।।
दर्द की कराहट लिखूं
तो सिसकती है कलम।।
सौन्दर्य की दिलकशी लिखूं
तो कसमसाती है कलम ।।
वीर, वीरांगनाओं, शहीदों
की वीरता, शहादत लिखूं
तो इतराती है कलम ।।
वहशीपन, दरिंदगी, आंतकवाद
की शर्मिंदगी लिखूं
तो सुलगती है कलम ।।
न करो टुकड़े दिलों को
मज़हबी तलवारों से
न जलाओ देश को
नफरत की चिंगारियों से
करती अर्ज ये कलम।।
हो सुकुन, अमन, हँसी
ही बस हर घर आंगन
आँख न हो कोई नम
करती दुआ ये कलम ।।
करती दुआ ये कलम।।

मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |