नफ़स नफ़स में वो कितना बवाल था
शबे-वस्ल तेरी हया का कमाल था
सुबह देखा तो आसमां भी लाल था
कटे हैं यूँ हर पल ज़िन्दगी के अपने
नफ़स नफ़स में वो कितना बवाल था
जवाब देते अहले-जहां को तो क्या
तुझी से वाबस्ता हर एक सवाल था
चमकता है जो मेरी आँखों में अब भी
वो रूहानी पल जो लम्हा-ए-विसाल था
कटे ज़िन्दगी इस तरह कि कहें सब
नदीश सच में जैसा भी था बस कमाल था
© लोकेश नदीश