कविता

वर्ण-पिरामिड सप्ताहाँक – 75

जय माता दी

हार्दिक शुभकामनायें सभी को

( 75 पर एक बात बताना चाहती हूँ,….. मेरी आदत थी हर बात में पचहत्तर कहने की यानि तकिया-कलाम था …. पचहत्तर कहना )

शीर्षक = दुर्गा / अम्बे / जगदम्बे / शेरां वाली / भवानी

मंच प्रमुख :: आदरणीय जसाला जी और सभी सदस्यगण

मति

ना प्रश्न

काल परे

उर्जा ढ़ालती

भू ,माँ ,अम्बे रत्न

वात्सल्य चिरंतन {01.}

ण=निर्णय

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ले

झट

माँ-अंक

फैला नभ

भर लो दंभ

सुन कराहट

भवानी आती खट {02.}

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ