अंकिता की बुद्धिमानी
अंकिता षष्ठ कक्षा की होनहार छात्रो में से एक थी| सभी शिक्षको तथा सहपाठियों से घुलमिल कर रहा करती थी इसलियें सभी शिक्षकों और सहपाठियों की चहेती बनी रहती थी| विद्यालय मे वार्षिक समारोह होने के कारण चंदा के रूप मे पैसे इकट्ठा करने के लियें प्रत्येक कक्षा मे एक-एक विद्यार्थी को चुना गया जिसमे कक्षा षष्ठ से संचना को पैसा इक्ट्ठा करने के लिये चुना गया जो अंकिता के सभी दोस्तो मे से एक थी| पैसा इकट्ठा करने का काम शरू हुआ| प्रत्येक दिन कोई न कोई पैसा लाकर संजना को देता और संजना उसका नाम चढाकर पैसा जमा कर लेती | यह क्रिया अभी जारी ही था कि कक्षा मे पैसो की चोरी होना भी शुरू हो गया | सुबह के समय जब सभी छात्र प्रार्थना के लिये कक्षा छोडकर जाते और जब प्रार्थना कर कक्षा में लौटते तो अपने-अपने बैग अस्त व्यस्त पाते साथ ही साथ सभी के पैसे तथा वार्षिक समारोह के लियें इकट्ठे किये गये पैसे भी गायब रहते| एक दिन देखा गया ,दो दिन देखा गया फिर भी यह क्रिया बंद नही हुआ तो षष्ठ कक्षा के सभी छात्र अपने शिक्षक को सूचना दियें| शिक्षक ने पूरे कक्षा की तलाशी लियें लेकिन किसी के पास कुछ न मिला और न ही पैसा चोरी का काम रूका| सभी के सभी हैरान रहते कि जब सभी बच्चे प्रार्थना में शामिल रहते है तो फिर पैसा चोरी करने आता कौन है जब पता नही लग सका तो यह सूचना विद्यालय के प्राधानाध्यापक को दे दिया गया| उन्होने भी कक्षा मे आकर सभी छात्रो की तलाशी ली ,लेकिन कुछ पता नही चला तब सभी बच्चो को समझा कर चले गयें| सभी यह देखकर हैरान हो जाते कि इतना छानबिन करने पर भी चोर का पता नही चलता तो आखिर चोरी करता कौन है| एक दिन अंकिता ने मन बना ली कि आज मै प्रार्थना मे नही जाऊँगी और किसी भी तरह आज चोर को पकडकर रहूँगी| जब सभी बच्चे प्रार्थना के लिये चले गयें तो अंकिता बिना किसी को बतायें अपने कक्षा के बगल वाले कक्षा में छिपकर एक छोटा सा खिडकी से अपने कक्षा में देखने लगी | कुछ समय के बाद देखती है कि कक्षा पंचम की सोनम उसके कक्षा मे आकर सभी का बैग जल्दी-जल्दी ढूंढ रही है | जिस बैग से जितना पैसा मिलता उसे अपने पास रखते जाती और बैग को जैसे तैसे छोड देती | यह देख अंकिता अवाक् रह गयी और उसे रंगे हाथ पकडने के लियें दूसरे कक्षा से अपने कक्षा मे शरपच दौडी और उसे रंगे हाथो पकडकर डाट ही रही थी कि प्रार्थना समाप्त कर सभी बच्चे और शिक्षक भी वहॉ पहूँच गयें और अंकिता के वुद्धि विवेक की प्रशंसा करते नही थक रहे थे | आखिर प्रशंसा करते भी क्यो नही जिस चोर को पकडने मे बडे से बडे लोग भी असफल रहे उस चोर को एक षष्ठ कक्षा की छात्रा पकड डाली| अंत मे प्रधानाध्यापक आये और दोनो को कार्यालय मे ले गये | सोनम को खुब डाट लगाये और आज से ऐसा काम नही करने का वादा करायें साथ मे अंकिता को शबासी दियें | उस दिन से कक्षा मे चोरी होना बंद हो गया और खुशी खुशी वार्षिक समारोह मनाया गया | वार्षिक समारोह के दिन अंकिता के किये गये सराहनीय कार्य को सराहना कर उसे मंच पर बुलाकर पुरस्कार से पुरस्कृत भी किया गया|
— निवेदिता चतुर्वेदी