मधुशाला छन्द!!
तुमको प्रेम नही करना तो , दिल में इसे जगाया क्यों?
साथ नहीं देना था तो फिर, पहले हाथ बढाया क्यों?
ख्वाबों में खोकर मैं तेरे , याद में डुबा रहता हूँ,
जो प्रेम अधूरा ही रखना, मुझको ख्वाब दिखाया क्यों ॥१॥
कुछ भी नजर नहीं आता अब , तेरा बना दिवाना मैं।
प्यार मे पागल सा बनकर के, बुनता नया तराना मैं।
तुम भूल गयी सारी यादे मैं, उन्हैं सजों कर रखता हूँ।
तेरे सपनों मैं चाहूँ अब, खुद के ख्वाब लुटाना मैं ॥२॥
रात में निद नहीं आती अब, तेरी याद सताती है।
कही सुनी हरपल की बातें, एक एक करके आती है।
वादों के हर पहलू को मैं, एक एक करके पढता हूँ।
अंधकार के छाया में तू , कई झलक लेकर आती है ॥३॥
सूबह की किरणों ने तेरे, आने की आहट लाती है ।
पंक्षीयों के कलरव तेरे, मीठे राग सुनाती है।
धूप से लेकर छाव तक मैं, तेरी राह देखता हूँ ।
कहीं कहीं परछाई रुप में,सज धज कर आ जाती है ॥४॥
____________________रमेश कुमार सिंह
_____________________11-05-2016