सावन की तरह
आइए मुसकुराते हुए सावन की तरह।
आइए घुमड़ते हुए बादल की तरह।
आपके स्वजन के साथ मुझे इन्तजार है,
आइए पहली फुहार की बारिश की तरह।
हो सके मुझे भी बादलों के संग ले लेना
घुमाना चारो तरफ एक नाविक की तरह।
अरमान लूटायेंगे आसमान की दुनिया में,
खुशियाँ छलकाएंगे हम बादल की तरह।
ख्वाब सजायें हैं साथ-साथ होने का
जुदाई हो तो बादलों से बारिश की तरह।
पानी का बुन्द बनकर नीचे ख्वाब सजाऊँ
पुनः लौट आऊँ बनकर वाष्प की तरह।
_____________ _____रमेश कुमार सिंह
___________________13-05-2016