कवितापद्य साहित्य

” आज की मधुशाला “

वो मेरी यादों में आकर, दे जाये ऐसी हाला।
प्यास बुझाने के एवज वो, दे गई ऐसी प्याला।
यह कैसा दस्तूर बनाई, मेरे संग रह करके वो,
मदिरालय के जैसी लगती है, यह मेरी मधुशाला॥१॥

कातील निगाहों से मेरे, दिल को घायल कर डाला।
उसको पाने कि खातीर मैं,बन गया यहाँ मतवाला।
उसके आने की आहटों से, घुम रहा हूँ यहाँ वहाँ,
जिन्दगी बन गई है ऐसे, जैसे हो यह मधुशाला॥॥२॥

मुझसे मिल गई एक दिन वो,दिल को पिला गई हाला।
प्यार कि बातें करती थी वो, प्यार मुझमें जगा डाला।
हँसती थी इठलाती थी वो, बात बनाकर चली गयी,
कैसा रस का स्वाद दिया वो,मेरी थी वो मधुशाला॥३॥

मेरे जीवन में आई थी , सुन्दर बनकर एक प्याला।
ऐसा जाम पिलाती थी वो, झुम गया झूमने वाला।
आनंद उठाती झुमकरके, प्रेम जता कर आज यहाँ,
रस का जाम पिलाई थी वो, बनाकर गई मधुशाला॥४॥

ठन्डेपन का एहसास दिलाति, दे जाती ऐसी हाला।
बैठकर सामने नजरों से, देकर जाती एक प्याला।
पिते हि प्याला को दुनिया का, रंग बदला सा हो जाता है,
जहाँ पर प्याला बनाती थी , जगह बन गई मधुशाला॥५॥

लोग झुमते गाते पिते है, जब लेते हैं एक प्याला।
मस्ती में सैर कर घुमते हैं, हाथों से देते हाला।
मैं भी वहाँ जाकर देखा तो, सब बैठकर झुम रहे थे,
मैं भी वहाँ सम्लित हुआ तो, दे दिया मुझे एक प्याला॥६॥

मैं डूबा उसके नशा में तो , इधर- उधर बहकने लगा।
आनंद में मेरा मन डूबा, लीया बार-बार प्याला
बाहों में आकर लिपट गई, पीते-पीते नशा हुई ।
हर बार पिया एक बार पिया ,रास गई यह मधुशाला॥७॥

यौवन का मदिरा छलका जब, आया प्यालों पर प्याला।
तिरछी नजरों के हाथों से, भर डाला सबका प्याला।
सब अपने-अपने हाथों में, लिए बैठ एक साथ-साथ,
मदिरा को पीने वाले सब, एक नाम दिया मधुशाला॥॥८॥

मधुशाला में मधुरस लेने , आते थे सब लेकर हाला।
मधुरस पान कराने हेतु ,बना दी सभी का प्याला।
झुमे नाचें गाये सब लोग, आपस में टकराते थे,
यह कैसा जीवन पाया सब, बन गया यहाँ मधुशाला॥९॥

आँखों का रंग बदलकर के, प्यालों में हाला डाला।
छलकते हुए प्याला लेकर,उठा लिया झूमने वाला।
अपने-अपने प्यालों को सब, खाली करने लगा यहाँ,
फिर दौड़ा मदिरालय कि ओर, बना दिया सब मधुशाला॥१०॥

मदिरालय को ढूंढ रहा था,मैं पीने के लिए हाला।
कमरे के अन्दर देखा था ,वहाँ बन रहा था प्याला।
अन्दर जाकर खाली जगह पर , एक टेबल पर बैठ गया।
मौज मस्ती का धूम मचा था,मील गई वो मधुशाला॥११॥

अलगअलग सब झूम रहे थे, हाला पीकर मतवाला।
इधर-उधर मैं देख रहा था, वो सब लड़ा रहे प्याला।
मादक बनकर झूम रहे थे, डूबकर ख्वाबों में वहाँ,
तभी मेरे सामने आई,लेकर प्याला मधुबाला।॥१२॥
क्रमशः •••
__________________रमेश कुमार सिंह

रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

जीवन वृत्त-: रमेश कुमार सिंह "रुद्र"  ✏पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।     पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक यादव एवं ईशान सिंह ✏वंश- यदुवंशी ✏जन्मतिथि- फरवरी 1985 ✏मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास-821108) ✏शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड. ✏ साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।      सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी) राष्ट्रीय सचिव - राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन मध्यप्रदेश,      प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं भारत भर के विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त। प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई सासाराम रोहतास ✏समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम बिहार ✏गृहपता- ग्राम-कान्हपुर,पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती,जनपद-कैमूर पिन कोड-821105 ✏राज्य- बिहार ✏मोबाइल - 9572289410 /9955999098 ✏ मेल आई- [email protected]                  [email protected] ✏लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन। ✏प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं  साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित। ✏साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से। ✏ प्राप्त सम्मान विवरण -: भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से  125 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त। ✏ रूचि -- पढाने केसाथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।कविता,कहानी,हिन्दी गद्य लेखन इत्यादि। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आदरणीय मित्र मेरे अन्य वेबसाईट एवं लिंक--- www.rameshpoonam.wordpress.com http://yadgarpal.blogspot.in http://akankshaye.blogspot.in http://gadypadysangam.blogspot.in http://shabdanagari.in/Website/nawaunkur/Index https://jayvijay.co/author/rameshkumarsing ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपका सुझाव ,सलाह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~