“प्रेम-पथिक”
तुम कहाँ खो गई हो।
तुम क्या कर रही हो।
मुझसे नजरें तो मिला लें,
बहुत याद आ रही हो॥१॥
कहाँ हैं नहीं है पता।
हुआ क्या मुझसे खता।
कुछ तो बता दो मूझे,
भूल मेरा मुझे तो बता॥२॥
एक बार नजर तो मिला।
मुझसे क्या शिकवा गीला।
तमन्ना है मुझे जानने की,
मुस्कुराते हुए मुझे दिखा॥३॥
जानी सी नजरें हो गई पराई।
पहले कई बार उसने मुस्कुराई,
खिला हुआ चेहरा नहीं दिख रहा।
चेहरे पर आज क्यों रुसवाई ॥४॥
सामने मिली तो इजहार किया।
दूर चली गई तो इन्तजार किया।
आज मैं प्रेम-पथिक बन गया हूँ,
इस भरी महफिल में प्यार किया॥५॥
_______________रमेश कुमार सिंह
__________________15-05-2016