ग़ज़ल/गीतिका
जोड़ कर तिनका बनाया था, तो वह घर बन गया
बढ़ते बढ़ते अन्त में नाला समुन्दर बन गया |
भूख से हो या मरे फाँसी लगा कर, मर रहे
आँख रहते नेता अंधा, दिल तो पत्थर बन गया |
नाखुशी अपने ह्रदय की जब कहा वह प्यार से
प्यार से बोला कहन उसका ही नश्तर बन गया |
क़त्ल कर दे तो भी उसका कोई चर्चा भी नहीं
ऐसा क्या हम ने किया जो उस से बदतर बन गया |
कल जो था कंगाल मुफलिस आज मालिक बैंक का
नेता बन कर लूटकर धन, देश का सर बन गया |
© कालीपद ‘प्रसाद’