आज दीवाली का दिन था
सारा गाँव रोशन आज दीवाली का दिन था
अमावस की रात में अंधियाली का दिन था
छप्पन भोग बना परोसी पकवान थाली है
श्रद्धा भाव बनाई भोज थाली का दिन था
बाजारों में रौनक भारी भीड़ सजा है गाँव
सुख समृद्धि ऐश्वर्य खुशहाली का दिन था
अमीरो के जीवन में रहे उजियाला है देखो
गरीबो के घर आज माँ काली का दिन था
डिस्टेम्बर चूना पेंट से रंग गया मेरा ये गाँव
फूल मालाये बनाऐ उस माली का दिन था
नये कपड़ो में दिखते है जो अमीर बच्चे है
रप्पू करी पेंट गोलू पप्पू लाली का दिन था
चार दिन की चांदनी है फिर काली रात है
कर्ज में डूबा किसान कंगाली का दिन था
लक्ष्मी करती वास जहाँ विष्णु को ध्याते है
कहे नन्हा आज बहु बेटी नारी का दिन था।
-शिवेश अग्रवाल ‘नन्हाकवि’