कविता

आंसू

यह सच है,
आंसुओं पर किसी का ज़ोर नहीं होता,
यह भी सच है,
आंसुओं जैसा पुरज़ोर सहारा कोई और नहीं होता.
खुशी में खुशी का उपहार होते हैं आंसू,
ग़म में भी ग़म की निकासी का आधार होते हैं आंसू.
तनहाई में यादों का आगार होते हैं आंसू,
जमहाई में थकान का प्रतिकार होते हैं आंसू.
हास-परिहास में भी नमूदार होते हैं आंसू,
उदासी में उदास-भाव का इज़हार होते हैं आंसू.
कभी अनकही बातों को संजोते हैं आंसू,
कभी-कभी यों ही दामन भिगोते हैं आंसू.
आंसुओं की भी अपनी भाषा होती है,
घड़ियाली आंसुओं पर मानवता पशेमान होकर रोती है.
महंगाई का बढ़ता ग्राफ देखकर अक्सर ढुलक पड़ते हैं आंसू,
पड़ोसी की कोठी की बढ़ती मंज़िलों को देखकर लुढ़क पड़ते हैं आंसू.
प्याज काटने वालों को रुला देते हैं प्याज के आंसू,
कभी-कभी तो सरकार को ही गिरा देते हैं प्याज के आंसू.
अवसर-समय-स्थान कोई भी हो, रुकते नहीं हैं आंसू,
अपने आने का कोई-न-कोई वाजिब बहाना ढूंढ ही लेते हैं आंसू.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244