कविता : सिर्फ प्यार ही रहेगा
यह घर मेरा, यह मकान तेरा । दुकान, जमीन
हीरा,पन्ना, सोना, चांदी
रूपया-पैसा, धन दौलत
मेरा-तेरा करके अपने-पराये होकर
लड़ना- झगड़ना,
छोटी- छोटी बातों पर
क्रोधित हो रूठना, डूब कर अहम् में
तोड़ देना रिश्ता प्यार से भी प्यारे अपनो से ,
यह सब क्या है ?
नहीं समझोगे तुम ,
क्योंकि –
इस धरती पर
कुछ न रहेगा ।
सिर्फ रहेगा तो
बेहद कीमती,
बिना मूल्य वाला
जो था हमेशा
और है आज भी
और रहेगा ।
करोगे खर्च जितना
उतना यह बढ़ेगा ।
प्यार था –
और सिर्फ प्यार रहेगा ,
सिर्फ प्यार रहेगा ।
— निशा गुप्ता