सीख लिया
मर मर कर ही जिंदगी से मर कर जीना सीख लिया |
जैसे ही ठोकर लगी हमने सम्हलना सीख लिया ||
मॄगतृष्णा है मिले कभी तिरी प्रीत स्वाति बूंद मुझे
बोल मधुर जो तुम बोले हमने बहलना सीख लिया
मधुर मधुर रस घोल रहे पिया तुम्हारे गीत मधुर
कभी-कभी बिना पिये ही हमने बहकना सीख लिया
रूठने और मनाने में तुमसे प्रेम जताने में
तुम संग सजन खुशी खुशी हमने चहकना सीख लिया
तुम्हे छूकर ये हवाएँ आती संग खुशबू लिये
काग़ज़ के फूलों ने भी खुद ही महकना सीख लिया