गीतिका/ग़ज़ल

ज़िन्दगी चंद लम्हों की मुलाक़ात है

बहुत वक़्त बाद इन आँखों में बरसात है
जिंदगी क्या है चंद लम्हों की मुलाकात है।

उन लम्हों में पूरी ज़िन्दगी जी लेते है लोग
ज़िन्दगी के सफ़र में कुछ ऐसे भी लम्हात है।

पल पल की कीमत है अगर शान से जी ले
वे हसीं पल,सिर्फ़ पल नहीं पूरी कायनात है।

आफ़ताब कोई अकेला ही तो रोशन नहीं है
तारों के दम पर भी उजियारी रात है।

शहर में मत उछाल मेरे दोस्त, मेरे रहबर
ये बात तो तेरी मेरी बात है।

क्यों सरे बाजार अश्क़ों से नीलाम करता है
बेशकीमती हैं, ये जो तेरे जज़्बात है।

शह और मात का खेल हर दम खेला जाता है
ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं, शतरंज की बिसात है।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = [email protected]