समाचार

पुस्तक: ‘अच्छे दिनों के इंतज़ार में’ का विमोचन

सृजनलोक समारोह 2019 में सुप्रसिद्ध साहित्यकार आदरणीय चित्रा मुद्गल एवं सर्वश्री दिविक रमेश, बी.एल. आच्छा, पुष्पिता अवस्थी, ऋषभ देव शर्मा, शरद आलोक, डॉ. रज़िया, और संतोष श्रेयांस के कर-कमलों से पुस्तक ‘अच्छे दिनों के इंतज़ार में’ का विमोचन किया गया। एस.आर.एम. इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी चेन्नई तथा सृजनलोक प्रकाशन समूह के संयुक्त तत्वावधान में […]

लघुकथा

दरिद्रता का हक़दार

महल जगमगाउठा था। प्रजा ने अपने घर के सभी दीपकों से राजा का महल रोशनी से भर दिया। माँ लक्ष्मी पूरे राज्य में घूम ली, सिवाय राजमहल के कहीं उजाला नहीं था। जब देवी लक्ष्मी राजमहल में प्रवेश को उद्यत हुई, दरिद्रता ने पूछ ही लिया– “जहां धन पहले से मौजूद है,वहां प्रवेश क्यों देवी? […]

कविता मुक्तक/दोहा

वतन

उस वक़्त का इन्तजार है जब वतन में खुशहाली होगी, पतझर हो या सावन, हर मौसम हरियाली होगी, न दिन में तपन होगी,न रात काली होगी, हर दिन होली हर रात दिवाली होगी। हर दिल में देश का,इस चमन का सम्मान होगा, जहां भर की इबारतों में हिन्दोस्तां का नाम होगा, सोने चांदी के ख़्वाब […]

कविता

बारिशें

वो बारिशें अब कहाँ मयस्सर हैं, जिनमें नादान शरारतें होती थी। छतरी की छांव तले भी, भीगने की कवायदें होती थी। सर्दी जुकाम की परवाह किसे थी, जब बादलों से मोहब्बतें होती थी। पानी की हर बूंद के लिये, घर घर में इबादतें होती थी। खेतों के दिलों में आसमां से इश्क़ उमड़ता था , […]

कविता

पानी

कभी किसी की आँखों से बरसा है, कभी आसमान से पानी। ज़रा संभाल कर रखना, मिट न जाए इस जहां से पानी। मोती इसकी आगोश में पलते है, इसके दम पर ही हमारे प्राण चलते हैं। अब बरसे तो पलकों पर थाम कर रखना, कभी खो न जाए हमारी आँख से पानी। बादलों की आँखें […]

कविता

टूट कर

टूट कर बिखरना तो आइनों की फितरत है मेरे यार, बस तुम्हारी दुआओं की कशिश मुझे बिखरने नहीं देती। कब तक ये टुकड़े इस सीने के सहेज कर रखूँ, मौत सामने है पर जिंदगी मुझे मरने नहीं देती। **** **** इतना तो रहम कर मुझ पर ऐ दिलबर तू मेरा यूं दिल दुखाना छोड़ दे। […]

गीतिका/ग़ज़ल

उनकी पायल में

कितने सावन बरसे होंगे एक ही पल में, जब घुंघरू खनका होगा उनकी पायल में, अरमानों के बादल में कोई आग लगाने आ जाए, हंसने की किसको चाहत है,वो मुझे रुलाने आ जाए, सूनापन हर देहरी पर, हर मोड़ पर सन्नाटा छाया है, हर आहट पर ऐसा लगता है,तू ही लौट कर आया है, फिर […]

कविता

उसे गुरूर है

उसे गुरूर है अपने चेहरे की मासूमियत पर उसने मेरी आँखों की गहराई नहीं देखी। **** **** जिनका हर इक आंसू मैंने मोती की तरह संभाल रखा था, उनसे गुजारिश है मुझे मेरी मुस्कान लौट दे। **** **** जो शख्स प्यार करता है,वो याद नही आता वो ही याद आता है, जो प्यार नहीं करता। […]

कविता

यादों की गठरी

उन्हें याद नहीं आती हमारी, गुरुर में, वो खोये है जाने किस सुरूर में। जिस वक़्त के लम्हात ने हमको रुलाया है, उस वक़्त का झोंका तेरी गली में आया है। इस बार तेरी यादों की गठरी बनाएंगे, ख़ुद भी जलेंगे और तेरी यादें जलाएँगे। इस बार जो हम रूठे तो ऐसे रूठ जाएंगे वहां […]

गीतिका/ग़ज़ल

दीवारों से बचते है तो दरवाजे टकराते है।

इतनी कोशिशों के बाद भी तुम्हें कहाँ भूल पाते है दीवारों से बचते है तो दरवाजे टकराते है। कौन रुलाए कौन हँसाए मुझको इस तन्हाई में ख़ुद के आंसू हाथों में ले ख़ुद को रोज हंसाते है। जाने क्या लिख डाला है हाथों की तहरीरों में अपनी किस्मत की रेखाएं उलझाते है, सुलझाते है। तुझको […]