कविता

इश्क़ का अंज़ाम

आँखों में समन्दर और लबों पर तिश्नगी है, जैसी भी है यार, बड़ी हसीं जिंदगी है। **** **** एक एक पत्ता गिरेगा इस शाख से, जल्द ही शज़र शर्माना बन्द कर देगा, तारीख निकलती जा रही है मियाद-ए-इश्क़ की, फिर महबूब भी मुस्कुराना बन्द कर देगा, ‘दवे’ ये हालात एक से नहीं रहते,कोई समझता क्यों […]

मुक्तक/दोहा

सुन लो मोदीजी

फिर से कुछ गीदड़ शेर का सीना छलनी कर गए, मेरे वतन तेरे आँचल पर लहू के दाग नहीं सुहाते। कितनी बार खा चुके है मात जंग के मैदान में, ये कुत्ते मगर अपनी करनी से बाज नहीं आते। **** **** अब बातों से फिर हमे न बरगलाना मेरे सरकार, हुक्मरानों की जुबां से बच्चा […]

मुक्तक/दोहा

उन्हें इश्क़ है हमसे

उसका कुछ नही बिगड़ा ‘दवे’ तेरी नाराजगी देख कर भी, मेरे आंसुओं का क़र्ज़ न उतारा गया, और वो हंस कर नहीं बोली मुझसे आज एक बार, मैं दिन में कितनी बार बेमौत मारा गया…….  **** **** इस गफलत में मत रहना के ये वक़्त तेरा है, वक़्त किसी का नहीं होता न तेरा न […]

कविता

लौट कर आओगी

गुजर जाती है हर शाम उस वक्त को याद कर के,जो वक्त हसीं तो नहीं मगर अपना हुआ करता था,तुझे खोकर भी इतनी ही शिद्दत से याद है मुझे,तुझे पाना एक खूबसूरत सपना हुआ करता था। अब तो जुगनुओं के उजाले भी मुझे नजर नही आतेतेरे सपने यादों के आँचल से शाम-ओ-सहर नहीं जाते। लौट […]

कुण्डली/छंद

अजीब से हालात है

अजीब से हालात है मेरी जिंदगी के दिन ढलता भी नहीं और रात होती हैं.. मुस्कुराना काफी नहीं है इस महफ़िल में, यहां तो आंसुओ के जरिये बात होती है.. इश्क के बाजीगरों को रोते देखा है अकेला,, इन तन्हाइयों से जब मुलाकात होती है.. लौट कर मत आना मेरी जिंदगी में हर अंजाम पर […]

मुक्तक/दोहा

उस बेवफ़ा की तरह

ये वक़्त भी गुजर गया बातोँ बातोँ मेँ,,,,,,,,, दुरियाँ बदल न सकी मुलाकातो मेँ,,,,,,,,, बिजलियोँ को छूने की तमन्ना सी जगी हैँ………. यहाँ सिर्फ धुआँ हैँ तो आग कहाँ लगी हैँ………. **** ****** चला जाऊंगा तेरी जिंदगी से ये पहचान छोड़कर, तेरे टूटे हुए सपनो में मेरे निशान छोड़कर। **** ***** लौट आने का दिल […]

गीतिका/ग़ज़ल

माँ बाप ने मन्नतों का ढ़ेर लगाया होगा

माँ बाप ने मन्नतो का ढ़ेर लगाया होगा तब कहीं जाकर घर का चिराग पाया होगा। तेरी सलामती खातिर दुआ अर्ज़ करने कई मंदिरों मस्जिदों मजारो पे शीश नवाया होगा। तेरा हर ख़्वाब पूरा करने की चाह में, ख़ुद के अरमानों का गला दबाया होगा। स्वयं के सपनों को आग लगाई होगी तब कहीं जाकर […]

कविता

कविता

चुप रहकर भले ही तुमन सत्ता से यारी रखते हो, लेकिन अपने दिल से पूछो, क्या खुद्दारी रखते हो। जफ़ा ये सहकर तुमने शायद कोई खजाना पाया है, शायद इन जंजीरो में तुम्हें सुख चैन नज़र आया है, लेकिन इन सोने चांदी के पिंजरों से बाहर आकर देखो, खुले हुए अम्बर के तले अपने अपने […]

मुक्तक/दोहा

नव वर्ष- दोहे

पुराना कलैंडर झाँक रहा है, नए वर्ष की छाया को कितना मुश्किल है बंधु, छोड़ कर जाना माया को। नए कलैंडर के चेहरे पर, अभिमानी मुस्कान है वक़्त को गुजर जाना है, यह विधि का विधान है। धूल उड़ाते क़दमों से समय जा रहा भाग कर जैसे कंधे को धकियाती बंदूक गोली दाग कर। रेत […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कभी उसे रुलाकर, कभी हंसाकर जी लिए, उसकी नादान शरारतें दिल से लगाकर जी लिए। उसकी पलकों को लबों से चूमकर, आँखों में इश्क़ सजाकर जी लिए। शरारों के साथ खेलना किसे आता था, मुहब्बत की आग लगाकर जी लिए। पाबंदी बहुत थी दुनिया के रिवाजों की कई तोड़कर, कुछ निभाकर जी लिए। उसके आंसू […]