गीतिका/ग़ज़ल

आओ ज़रूर

कांटे दामन में छुपा कर आओ, पर आओ ज़रूर, मेरी यादें दिल से मिटाकर आओ, पर आओ ज़रूर। मेरी निगाहें तेरी खुशबू भी पहचानती है मेरे हमदम, हिजाब में चेहरा छुपा कर आओ, पर आओ ज़रूर। लौट जाना मेरी आँखों में फरेब दिखे तो मेरे सनम, दिया इश्क़ का बुझाकर आओ, पर आओ ज़रूर। तुम्हारी […]

गीतिका/ग़ज़ल

मुक्तक

मुक्तक तेरी तो दुआ लग जाती तो सब पाकर तुम्हें खो देते बस इसी खातिर हम बद्दुआ का आँचल थामे रहे बहुत प्यार से हमें ठुकराया उन्होंने कुछ ऐसा कह कर कफ़न को समझा दुपट्टा, जिसका आँचल थामे रहे।

गीतिका/ग़ज़ल

वो गुलाब है, मुझको भूल गई है

जिसकी खुशबू साँसों में घुल गई है वो गुलाब है, मुझको भूल गयी है। ज़रा याद दिलाए उसे कोई मेरी वो किस सुरूर में मुझसे दूर गई है। तेरा रूठना ऐसा लगता है जैसे मेरी जिंदगी मुझी से रूठ गई है कई सारी गांठों में उलझते जा रहे है इक गाँठ जो नफरत की खुल […]

गीतिका/ग़ज़ल

जम्हूरियत की आंधी में सत्ता दहल जाएगी

आवाज़ क्यों नहीं इन दीवारों को चीर कर आएगी, इतना जोर से बोलेंगे कि हुक्मरानों की कुर्सियां हिल जाएगी। सियासत के दांव पेंच हम पर न आजमाना, जम्हूरियत की आंधी में सत्ता दहल जाएगी। यह वक़्त है अपने हाथ उठाने का उनके विरुद्ध, वरना उनकी आरियां हमारे सीनों पर चल जाएगी। जिस दिन बेकाबू हो […]

गीत/नवगीत

ज़िंदगी की किताब

एक किताब जिसके पन्ने पुराने हो गए, क्या उसके शब्दों का कोई अर्थ न रहा। ज़िंदगी तो सदियों से चली आ रही है, इसका तो कोई पन्ना व्यर्थ न रहा। इस ज़र्द किताब के हर पन्ने को उलट कर देखते हैं आओ मेरे यार, ज़िंदगी को फिर से पलट कर देखते है। एक मुस्कान जो […]

गीतिका/ग़ज़ल

वो एक इशारा कर दें

जीने का इतना शौक नहीं हमें जो उसके इश्क़ से किनारा कर दे, अभी इस दरिया में कूद जाऊं, अगर वो एक इशारा कर दें। इक बार तुम्हें खोकर देखा है मैंने ख़ुद को ज़िंदा लाश माफ़िक, इतना पागल नहीं हूँ जो एक ही गलती को दुबारा कर दें। हम दोनों में जमीन और जागीर […]

हाइकु/सेदोका

दीपावली-हाइकु

1.चिराग जला दीपावली की रात उजाला फैला 2.कहाँ उजाला झोंपड़ी के बाहर घना अँधेरा 3. प्रकाश आओ गरीबों की दीवाली जगमगाओ 4. लक्ष्मी चंचला धन के लोभ में क्यों दीपक जला 5. अर्थ की खाई अनर्थ अंधकार तम धिक्कार 6. मन में ज्ञान हृदय में रोशनी लक्ष्य में ध्यान 7. इस दीवाली बोये प्रेम के […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल-जैसे चाँद उतर आया हो ख़्याल-ओ-ख़्वाब में।

उसने इतनी शराफ़त से जहर मिला दिया शराब में जैसे चाँद उतर आया हो ख़्याल-ओ-ख़्वाब में। किसी आशिक़ ने छोड़ दिया होगा उस चाँद को जब दाग लग गया होगा उस हसीन महताब में। इश्क़ की दुकानदारी चल गई अय्याशों की हम उलझे रह गए वफ़ा के हिसाब में। अफवाह लोगो के कन्धों पर सवार […]

गीतिका/ग़ज़ल

ज़िन्दगी चंद लम्हों की मुलाक़ात है

बहुत वक़्त बाद इन आँखों में बरसात है जिंदगी क्या है चंद लम्हों की मुलाकात है। उन लम्हों में पूरी ज़िन्दगी जी लेते है लोग ज़िन्दगी के सफ़र में कुछ ऐसे भी लम्हात है। पल पल की कीमत है अगर शान से जी ले वे हसीं पल,सिर्फ़ पल नहीं पूरी कायनात है। आफ़ताब कोई अकेला […]

गीतिका/ग़ज़ल

माँ

कितनी आशीष अपने आँचल से निकाल जाती है कैसी भी मुसीबत हो, माँ संभाल जाती है। मैं कितना भी मुस्कराने का नाटक कर लूँ आँखों की उदासी माँ जान जाती है। दोस्तों की सोहबत पर भी निगाहें है उनकी मेरी आस्तीन के सांप माँ पहचान जाती है। अथाह समन्दर में कोई सहारा नहीं दिखता जब […]