गीतिका/ग़ज़ल

वो गुलाब है, मुझको भूल गई है

जिसकी खुशबू साँसों में घुल गई है
वो गुलाब है, मुझको भूल गयी है।

ज़रा याद दिलाए उसे कोई मेरी
वो किस सुरूर में मुझसे दूर गई है।

तेरा रूठना ऐसा लगता है जैसे
मेरी जिंदगी मुझी से रूठ गई है

कई सारी गांठों में उलझते जा रहे है
इक गाँठ जो नफरत की खुल गई है।

हाथों पर हिना का रंग कैसे हो
मेहँदी आंसुओं से धुल गई है ।

मुझसे दूर होना इतना आसान भी नहीं
तेरी साँसे मेरी साँसों में घुल गई है।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = davevinod14@gmail.com