कविता
क्या बात है………
अधूरी रात है…..
चमकती चाँदनी,
बढती प्यास है॥१॥
अनकही राह है
अजनबी आह है
चाँदनी रातों में
लिपटने की चाह है॥२॥
चाँद और तारे
दिख रहे सारे
टिमटिमाते हुए
चक्कर लगाते॥३॥
प्यार की चाहत
मील गई राहत
मिलेगा सुकून
हुई ऐसी आहट॥४॥
बादली छा गई
चाँदनी लुप्त हुई
बाहों में आकर
बावली लिपट गई॥५॥
@@रमेश कुमार सिंह
——–28-05-2016