गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल-जैसे चाँद उतर आया हो ख़्याल-ओ-ख़्वाब में।

उसने इतनी शराफ़त से जहर मिला दिया शराब में
जैसे चाँद उतर आया हो ख़्याल-ओ-ख़्वाब में।

किसी आशिक़ ने छोड़ दिया होगा उस चाँद को
जब दाग लग गया होगा उस हसीन महताब में।

इश्क़ की दुकानदारी चल गई अय्याशों की
हम उलझे रह गए वफ़ा के हिसाब में।

अफवाह लोगो के कन्धों पर सवार है
लोग अँधेरा भी ढूंढ लेंगे आफ़ताब में।

तेरी नज़रों में मुझे ये तसव्वुर नज़र आता है
जैसे खोये हुए हो तुम किसी इंकलाब में।

मत खनकाओं अपनी पायल इस झील के किनारे
ये मधुर आवाज़ आग लगा देगी इसके आब में।

मत सोच कि मेरी मुहब्बत में इतनी सादगी क्यों है
बेढब बेतरतीब कांटे लगे है हर सुंदर गुलाब में।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = [email protected]