बंद किताब
बंद किताब
भी खुली किताब की तरह ही है
खुशबू महक गंध दुर्गंध में भेद नहीं करते
त्याग चुके है साधक।
बंद किताब
संसार की मोह माया आदि का परित्याग
भी एक उदाहरण है।
बंद किताब
में मन भटक भटक कर खुली किताब की
ओर अग्रसर होता रहता है
जो कसौटी पर खरा उतरना होता है
नहीं तो खुली किताब है।
— अनिल कुमार सोनी