गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

तुम्हें चाहा,  तुमको प्यार किया
तुम पर सब खुशियाँ वार दिया

ये माना कि थोडी देर हुई पर
लो,  हमने अब इकरार किया

तुमसे हर उम्मीद जोड कर
हर ख्वाहिश का इजहार किया

तुम बिन हर शय अधुरा है
ये बात दिल ने स्वीकार किया

मेरा हाथ थाम जिस राह चलो
मैने तुमको सब अधिकार दिया

पर उससे पहले जग से कह दूँ
मैने प्यार किया,  तुम्हें प्यार किया

साधना सिंह 

साधना सिंह

मै साधना सिंह, युपी के एक शहर गोरखपुर से हु । लिखने का शौक कॉलेज से ही था । मै किसी भी विधा से अनभिज्ञ हु बस अपने एहसास कागज पर उतार देती हु । कुछ पंक्तियो मे - छंदमुक्त हो या छंदबध मुझे क्या पता ये पंक्तिया बस एहसास है तुम्हारे होने का तुम्हे खोने का कोई एहसास जब जेहन मे संवरता है वही शब्द बन कर कागज पर निखरता है । धन्यवाद :)