ग़ज़ल
सभा में गरीबों की चर्चा नहीं है
किसी को उनकी चिन्ता नहीं है |
वजह चाहता हैं कहे दिल का अपना
सकल सच तो कोई बताता नहीं है |
सभी ओर धोखा है सच्चा न कोई
सही कोई रिश्ता निभाता नहीं है |
ज़माना बताया जो नाता पुराना
यहाँ ऐसा अब इक भी रिश्ता नहीं है |
सगा सब कुटुम्बी दिखावे के हैं अब
कमी है समझ की समझता नहीं है |
प्रणय गीत गाना सनम प्यार से अब
बिना प्यार जीवित तो रहना नहीं है |
रखो तुम निरापद मनोहर ये यादें
यही है धरोहर ये खोना नहीं है |
© कालीपद ‘प्रसाद’