रामायण के पात्रो पर लिखे मेरे चंद हाईकु
{१}
रामायण को
गतिमान बनाती
तीन देवियां
मंथरा औ कैकई
सूर पणखा
{२]
शबरी बेर
ही बने संजीवनी
प्राण बचाये
{३]
पत्थर शिला
बनी अहिल्या नारी
चरण स्पर्श
{४}
मा की ममता
राम जी वनवास
भरत राज्य
{५}
सौतिया डाह
मचाई हलचल
सुहाग खोया
{६}
पिता वचन
राम-लखन-सीता
वन को चले
{७}
घर का भैदी
विभीषण कहाये
रामजी भक्त
{८}
राम से ज्यादा
नाम के पत्थरों ने
समुद्र बांधा
{९}
वन कौ चली
जनक दुलारी जी
पतिव्रता स्त्री
{१०}
भाई का धर्म
निभाने को लखन
वन को चले…
{११}
रामजी भक्त
ममता ठुकराई
राजगद्दी भी…
{१२}
दशरथ जी
वचन को निभाते
प्राण गंवाये
{१३}
ममतामयी
रानी बुद्धी की मारी
कान की कच्ची…
{१४}
स्वर्ण हिरण
देखके हरसाई
जानकी माई
{१५}
लक्ष्मी रिझाने
अमावस की रात
दीप जलायें
{16}
वो था रावण
शिव तांडव स्तोत्र
रचियता भी
{17}
महा पंडित
ब्रामण महाज्ञानी
मोक्ष दिवस