हाइकु/सेदोका

बाल दिवस पर हायकु

(१) आज के बच्चे क्रेच में है पलते मां कामकाजी (२) दादी ना नानी एकल परिवार आया का साथ (३) आज का युग नवीन टेक्नोलोजी भूले खिलौने (४) आज के बच्चे मोबाइल में मस्त भूले कबढ्ढी (५) गरीब बच्चे करते मजदूरी हर दिवस — गीता पुरोहित

कविता

कविता

जाने कहां गये वो दिन सुबह से शाम तक काम की अफरा तफरी बच्चों की चिल्ल पों मैं तब झिड़कती रहती रखो सामान तरतीब से जाने कहां खो गये वे पल ना बच्चे कब बड़े हुवे चूजों के पर निकले जैसे उनके भी और वे सब कुछ झिड़क उड़ गये जाने कहां गये वो पल […]

लघुकथा

अबला कौन ?

सुबह सुबह माया कामवाली बाई ने समाचार दिये की कमलाकर की पत्नी चल बसी ,पड़ोस का मामला है बैठने जाना होगा ,सरिता ने सवेरे खाने के साथ ही रात के लिए बच्चो के नाश्ता बना दिया और बेटी को बता दिया ! की मुझे आने देर होगी स्याम को क्युकि ऑफिस के बाद कमलाकर जी के […]

हाइकु/सेदोका

बालों पर हायकु

(1) द्रुपद सुता अपमान बदले बाल बिखेरे (2) द्रोपदी प्रण बदला पूरा होगा बाल बांधूंगी (3) आज की बाला बाल बिखेरे रहे फैशन मारी (4) बाल सफेदी उम्र औ अनुभव निशानी होती (5) बिखरे बाल उड़ते उलझते परेशां करे (6) नवयौवना बिखरती हैं जुल्फें मोहक अदा (7) साधना बाल मजबूरी में कटे फैशन बने (8) […]

लघुकथा

जन्म कुंडली

पति विहीना ममता के बेटे रवीश ने जब बचपन से साथ पढने वाली रुक्मा से आर्य समाज में अंतरजातीय विवाह वो भी अमावस्या के दिन (शुभ कार्य वर्जित) कर लिया तो घर वालों ने आसमान सर पर उठा लिया | ना कुल देखा ना कुंडली मिलाई ऊपर से काली पीली अमावस्या ; परमात्मा ही मालिक है […]

लघुकथा

लक्ष्मन रेखा

मीना के इकलौते बेटे ने प्रेम विवाह किया तो मीना ने उसकी खुशी में ही अपनी खुशी ढूंढनी चाही : मियां बीबी  राजी तो क्या करेगा काजी ! बात यहीं तक सीमित नहीं थी बेटा तुुषार सोचता वो रीमा को ब्याह कर लाया है तो उसका ख्याल रखना उसकी जिम्मेदारी है .तो हमेशा चट्टान की तरह […]

संस्मरण

संस्मरण

एक बार केबीसी में एक लड़का बता रहा था कि मेरी मां की इच्छा की वजह से हम बहन भाई पढाई कर पाये क्यूंकि मां विपरीत परिस्थितियों के कारण पढ नहीं पाई पर उन्होने मन में ठान लिया था कि मैं अपने बच्चों को अवश्य पढाउंगी ! उसकी बात सुन कर मुझे भी अपने पिताजी की […]

हाइकु/सेदोका

हाइकु

{1} सदुपदेश करलो आत्मसात गुरुजनों के [2] दूध औ पानी होते है आत्मसात एक दूजे में {3} सगर पुत्र गंगा अवतरण शिव ग्रहण {4} थोथा उडाय सार आत्मसात हंस समान {5} करो ग्रहण तात मात की सीख जन्म सफल (६) नदी बहती समुंद्र में समाती हो आत्म सात — गीता पुरोहित

कविता

पिता का साया

पिता का साया मानो बरगद की छाया उंगली पकड़कर चलना सिखाया ऊंच नीच का पाठ पढाया पिताजी के बारे में जितना लिखो वह कम है पिता क्या तेरे क्या मेरे बना रहे सबके सिर पर पिता का साया क्या लिखूं क्या बोलूं लिखते हुए आंखें आंसुओं से अवरुद्ध हो गई है कलम साथ नहीं दे […]

लघुकथा

रावण से मुलाकात

कल सुबह अचानक नेहा की  स्कूटी के सामने हट्टा कट्टा दसशीश वाला रावण आ गया, नेहा ने जैसे तैसे ब्रेक लगाये और कहा, ‘अंकल क्या करते हैं ? बीस बीस आंखे होते हुवे भी टकरा गये क्या लड़की देख कर जानबूझ टकराये हो |’ दशानन गुस्से में तमतमा कर बोले, ‘लड़की तमीज से बात कर तुम […]