“मुक्तक”
शीर्षक- तीर ,बाण ,शर ,नाराच आदि समानार्थी
अंगड़ाई भरने लगी, पुलकित सुबह अधीर
केश सँवारे सांवरी, टपक रहे हैं नीर
बूंद बूंद पीने लगे, कोरे चहक चकोर
आगासी पर बादरी, लहराये जस तीर॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
शीर्षक- तीर ,बाण ,शर ,नाराच आदि समानार्थी
अंगड़ाई भरने लगी, पुलकित सुबह अधीर
केश सँवारे सांवरी, टपक रहे हैं नीर
बूंद बूंद पीने लगे, कोरे चहक चकोर
आगासी पर बादरी, लहराये जस तीर॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी