वतन के वास्ते
विजात छंद
पहला और 8वाँ अक्षर लघु
(पदान्त- है, समान्त- आई )
मापनी
1222 1222 1222 1222
-गीतिका-
हमारे देश की रक्षा की, जब-जब बात आई है।
जवानों ने वतन के वास्ते जाँ तक लुटाई है।1।
कई तूफान आए और आँधी ने सताया है,
हुआ है एक जुट भारत, अमन की लौ जलाई है।2।
कभी दुश्मन डराता है, करे यदि वार धोखे से,
न की जाँ की कभी परवा, धूल उसको चटाई है।3।
कई किस्से कहानी हैं, कई हैं शौर्य गाथाएँ,
भगत सिंह की शहादत भी, अभी तक ना भुलाई है।4।
यहाँ गंगो जमन की सभ्यता, शिखर को छूती है,
बिरज भूमि है कान्हा ने, जहाँ बंसी बजाई है।5।