कविता : मिट्टी के दीए
सधे हुए हाथों से कुम्हार
मिट्टी के दीए बनाए !
बिक जाएँ जब दीप सभी
घर चुल्हा उसके जल जाए ! !
बिजली की झालरों में दीया
कांपती लौ कर जलता जाए !
दे संदेश मिट्टी का ये तन
मिट्टी में ही है मिल जाए ! !
अंजु गुप्ता
सधे हुए हाथों से कुम्हार
मिट्टी के दीए बनाए !
बिक जाएँ जब दीप सभी
घर चुल्हा उसके जल जाए ! !
बिजली की झालरों में दीया
कांपती लौ कर जलता जाए !
दे संदेश मिट्टी का ये तन
मिट्टी में ही है मिल जाए ! !
अंजु गुप्ता