दीप जलाओ दीप जलाओ!!!!
दीप जलाओ दीप जलाओ, मन अन्दर दीप जलाओ।
अन्धकार को दूर भगाओ, चहुओर जोति फैलाओ॥
धूम मचाओ धूम मचाओ, आज दिवाली आई रे।
खुशियों का अम्बार लगाओ, खुशहाली अब आई रे॥
नफरत की दीवारें तोड़ो, लगाओ बन्धन प्रेम का।
भाईचारा तुम अपनाओ,लगाओ चन्दन प्रेम का॥
जगमग जगमग दीप जलाओ,मन अन्दर प्रेम जगाओ।
वातावरण स्वच्छ बनाकर, और प्रेम दीप जलाओ॥
गगनतारे खींच कर लाओ, आज माँ लक्ष्मी आई रे।
गगन से धरती एक बनाओ, खुशहाली अब आई रे॥
थाली में आरती सजाओ, माँ लक्ष्मी को दिखाना है।
माताजी का पूजा करके, खुशियाँ यहाँ मनाना है॥
दीप जलाओ दीप जलाओ, मन अन्दर प्रीत बसाओ।
दूर भगाकर तमस को यहाँ,चहुओर जोति फैलाओ॥
— रमेश कुमार सिंह “रुद्र”