गीत/नवगीत

आओ दीपावली मनाएँ

आओ दीपावली मनाएँ

इस नीरव
बीहड़ से वन को
करें आलोकित
अंतर्मन को
सत्य, ज्ञान के
दीप जलाएँ

आओ दीपावली मनाएँ

जगत के घने
अंधकार में
जीवन के
शत-शत विचार में
निस्वार्थ प्रेम
चहुँ ओर फैलाएँ

आओ दीपावली मनाएँ

उर से करें
सभी का आदर
हाथ बढ़ाएँ
शीश निवाकर
क्रोध, लोभ को
दूर भगाएँ

आओ दीपावली मनाएँ

उन्मादों में
अवसादों में
कुटिया में या
प्रासादों में,
रहें निष्कंप
ना अश्रु बहाएँ

आओ दीपावली मनाएँ

अंतःस्थल में
राम बसाकर
भले-बुरे का
भेद मिटाकर
चलो सभी को
हृदय लगाएँ

आओ दीपावली मनाएँ

आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।

*भरत मल्होत्रा

जन्म 17 अगस्त 1970 शिक्षा स्नातक, पेशे से व्यावसायी, मूल रूप से अमृतसर, पंजाब निवासी और वर्तमान में माया नगरी मुम्बई में निवास, कृति- ‘पहले ही चर्चे हैं जमाने में’ (पहला स्वतंत्र संग्रह), विविध- देश व विदेश (कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्र, पत्रिकाओं व कुछ साझा संग्रहों में रचनायें प्रकाशित, मुख्यतः गजल लेखन में रुचि के साथ सोशल मीडिया पर भी सक्रिय, सम्पर्क- डी-702, वृन्दावन बिल्डिंग, पवार पब्लिक स्कूल के पास, पिंसुर जिमखाना, कांदिवली (वेस्ट) मुम्बई-400067 मो. 9820145107 ईमेल- [email protected]