आओ दीपावली मनाएँ
आओ दीपावली मनाएँ
इस नीरव
बीहड़ से वन को
करें आलोकित
अंतर्मन को
सत्य, ज्ञान के
दीप जलाएँ
आओ दीपावली मनाएँ
जगत के घने
अंधकार में
जीवन के
शत-शत विचार में
निस्वार्थ प्रेम
चहुँ ओर फैलाएँ
आओ दीपावली मनाएँ
उर से करें
सभी का आदर
हाथ बढ़ाएँ
शीश निवाकर
क्रोध, लोभ को
दूर भगाएँ
आओ दीपावली मनाएँ
उन्मादों में
अवसादों में
कुटिया में या
प्रासादों में,
रहें निष्कंप
ना अश्रु बहाएँ
आओ दीपावली मनाएँ
अंतःस्थल में
राम बसाकर
भले-बुरे का
भेद मिटाकर
चलो सभी को
हृदय लगाएँ
आओ दीपावली मनाएँ
आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।