हायकू
हायकू
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हे खल तेरा
करेंअभिनन्दन
सत्य असत्य ।
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चली संग मे
प्रियतम के घर
पीहर छोड़।
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सखी सावन
विरहण वेदना
बरसे आँसू।
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आँगन बेटी
ससुराल दुलारी
आँगन न्यारी।
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बरसे बूँद
प्रिया ह्रदय मन
दूर साजन।
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राजकिशोर मिश्र ‘राज’
[03/11/2015में रचित]