कविताक्षणिका

आस्तिक-नास्तिक

आस्तिक उसे कहते हैं,
जो परमात्मा के अस्तित्व को स्वीकारता है,
नास्तिक उसे कहते हैं,
जो परमात्मा के अस्तित्व को नकारता है,
असल में नकारने का सीधा अर्थ है,
अप्रत्यक्ष रूप से उस परम शक्ति का होना,
जो होगा उसी को तो नकारा जाएगा,
इसलिए जिसे खुद पर आस्था हो, वह है आस्तिक,
जिसे खुद पर आस्था होगी, वही ईश्वर पर आस्था रखेगा,
जिसे खुद पर आस्था नहीं हो, वह है नास्तिक.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244