पाप की गेल्यां पूण कमा ले
डॉक्टर जान बचा ले,
मेरी कान्ही तू लखा ले,
करकै बालक की सफाई,
पाप की गेल्यां पूण कमा ले।
बड़ी आस ले कै तेरे धोरै सूं आई,
मत ना नाटै बहोत घणा दुःख पाई,
बस इब तेरा ऐ डॉक्टर मन्नै सहारा स,
छोरियाँ तै भरा पहल्यां ऐ घर म्हारा स,
पाँच छोरी घरां खेलैं छटी पेट म्ह पलै,
पार ना बसाती डॉक्टर लहू मेरा जलै,
मजबूरी म्ह करवाणा पड़ग्या यू पाप मन्नै,
सुन कै छोरी की मारेगा इसका बाप मन्नै,
सारै कुणबे के आगै मेरी एक ना चालै,
छोरी नै मारण खातर मन्नै बी मार डालै,
जै मैं मरगी तै छोरियाँ नै कौण पालैगा,
सोच के देख डॉक्टर उणनै कौन संभालैगा,
सासु नणंद मिलकै मन्नै बसन देती ना,
सुख का साँस एक घड़ी मिलन देती ना,
चौबीस घँटे पट्टी पढ़ाये जां मेरे मर्द नै,
हाथ जोड़ कह री डॉक्टर समझ मेरे दर्द नै,
छोरा होना चाहिए इस जिद्द प वे अड़ रे सँ,
छोरा चलावै वंश बेल इस चक्कर म्ह पड़ रे सँ,
बेटे की चाह म्ह डॉक्टर वे आँधे हो रे सँ,
आपणै झूठे अहम नै वे काँधे ढोह रे सँ,
तेरे आगे बताऊँ बात जो मन म्ह धारी,
करूँगी इसा जतन छोरी पढ़ज्यां सारी,
पढ़ा लिखा कै पायाँ प खड़ी करनी सँ,
जिंदगी म्ह उनकी सारी ख़ुशी भरनी सँ,
म्हारी छहूँ माँ बेटियाँ की जान तेरी मुट्ठी मै,
बेशक बेरा पाड़ लिए कह री ना बात झूठी मैं,
अहलावतां की छोरी सूं गाम स बहलम्बा,
करण लागी कविताई सुलक्षणा होया अचम्भा,
श्री रणबीर सिंह गुरु मेरे वे बड़वासनी आलै,
उनकै दिए ज्ञान तै खुल गए घट के तालै,
पूण पाप का फैसला डॉक्टर तन्नै करना स,
एक नै मार ना तै छहूँ माँ बेटियाँ नै मरणा स,
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत