माटी स यू चाम बावले
तज दे नै काम बावले,
माटी स यू चाम बावले,
एक दिन पछतावैगा,
ना टैम उल्टा आवैगा,
हो ज्यागा बदनाम बावले।
काम के वश म्ह हो कै मान मर्यादा भुला,
जवानी के जोर म्ह घमंड झूल प तू झूला,
सदा ना रहनी जवानी,
चार दिन की जिंदगानी,
भज ले नै तू राम बावले।
पर स्त्री प गेर कै डोरे क्यूँ पाप कमावै स,
करा कर्म मानस का एक दिन आगै आवै स,
पाछै तू रोवैगा,
जिंदगी नै खोवैगा,
जब ढ़ल ज्या शाम बावले।
मन कपटी नै काबू करै तै सब ठीक होज्या,
हर का नाम रट कै काम नै जड़ तै खोज्या,
परले पार उतर ज्या,
जीवन तेरा सुधर ज्या,
लिए जा हर का नाम बावले।
श्री रणबीर सिंह की ढाल गुरु बंदगी कर,
सुलक्षणा की ढाल गुरु के नाम जिंदगी कर,
मत ना तू वार कर,
प्रभु तै तू प्यार कर,
हाथ तेरा लैगा वो थाम बावले।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत