गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल -२

किसीका टूटा दिल तो हम गुनहगार हो गए
सुन इन तोहमतो से यार हम बेजार हो गए।

कैसे रहें महफ़िल में दिल गवाही नहीँ देता
यहाँ लोग मेंरी बर्बादी के तलबगार हो गए।

किससे किसको चाहत आता है नज़र सब
बस इल्ज़ाम हम पर है हम बेकरार हो गए।

एक बार कहो तुम चले जाएँगे हम यहाँ से
बस तेरी चाहतों के आगे हम लचार हो गए ।

न जाने कोई क्यो यहाँ अपना नहीँ लगता
जो रिश्ते प्यार से जोड़े थे वो बेकार हो गए।

कोशिश हज़ार की जानिब को सम्हाल लूँ
सुनो अपनो की ख़ुशी में हम निसार हो गए।

((((जानिब)))))

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर