मंदीप की विधवा संगिनी
रो-रो कर फरियाद लगाये,
जांबाज मंदीप की संगिनी।
अंग-भंग शव देखो मोदी,
माँग मेरी फिर देखिए सूनी।।
जिल्लत की रोटी ना तोड़ो,
पाक – चीन की मिन्नत छोड़ो।
जो सुवरों की फौज खड़ी,
इस फौज का कोई चिन्ह न छोड़ो।।
ऐसा ही चलता रहा तो,
रोज धरा पर लाश गिरेगी।
सूनी कोख, माँग सिन्दूर बिन,
जाने कितनी बचपन छिनेगी।।
वार करो हां वार करो,
अबकी ऐसा प्रहार करो।
पाक साफ कर नक्शे से,
चीन की चाल नाकाम करो।।
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।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला सुलतानपुर
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