आज हवाओं को हमने अपने से प्रतिकूल लखा, जीवन रूपी बाला का उड़ता हुआ दुकूल लखा। दिन प्रतिदिन दुर्दिन से बाजी खेल रहा हूं मैं, अर्थ रहित बीते जीवन में समय नहीं अनुकूल लखा, काट रहा हूं मैं दिन गिन प्रतिदिन अर्थाभाव में, लहरों से जो हार रही मैं बैठा हूं उस नाव में। मगर […]
Author: प्रदीप कुमार तिवारी
हम अतीत की
हम अतीत की जंजीरों में जकड़े हैं, हमें भविष्य का पंख लगाकर उड़ना है। गह्वर तम में डूबी ऊर्जा को बाहर ला, संघर्ष सतत कर हमको आगे बढ़ना है। लिखते लिखते विधिना ने जो लिख डाला, उसमें से हमें उत्तम को चुनते चलना है। हम जान गए बिन हारे कुछ ना पाते, हार, हार का […]
रावण भी ऐसा ना था
जाने कैसे-कैसे निशिचर घूम रहे हैं मानव बन, मानव रूप लिये फिरते हैं गलियों में दानव बन। होलागढ़ थाना क्षेत्र के देवापुर गांव में अब, नृशंसता के शिखर पे पहुंचा राक्षेश्वर रावण बन।। ना ना गलत बोल गया हूं, रावण भी ऐसा ना था, पापी, लोभी, रक्तपिपासू पर निर्दय ऐसा ना था। सृष्टि और श्रेया […]
मुक्तक
दिखाने को दिखा दूँ आँख का गिरता हुआ पानी, मगर बदनाम हो जायेगा दर्द से रिसता हुआ पानी। नहीं सम्मान पा पायेगा मशहूर होकर के जज्बात, इसी कारण छुपा लेता आँख का गिरता हुआ पानी।। — प्रदीप कुमार तिवारी
मरकज के जमाती
मौत खड़ी है सर पर लेकिन भान नहीं कुछ इसका है, बचना इससे इनको कैसे, ज्ञान नहीं कुछ इसका है। चरमपंथ है, कट्टरपंथ है, धर्म का जाहिलपन इनमें, बनी रहे आपस में दूरी, ध्यान नहीं कुछ इसका है।। दुनिया जिससे छुप रही, उसको गले लगाने वाले, गले लगाकर प्रेम-भाव से, आपस में बतियाने वाले। समझ […]
अपना गांव करौंदी
ग्राम करौंदी की आओ पहचान बताते हैं, बड़े-बड़े दो पावन धाम की महिमा गाते हैं। चमत्कारिणी मां गायत्री का मंदिर यहां विशाल, मां शारदा मंदिर का वैभव हम यहां दिखाते हैं।। भक्ति भाव से मंदिर में सब महिमा गाते हैं, मातारानी सम्मुख आकर अपनी व्यथा सुनाते हैं। नहीं कह सका जो मित्रों से या अपने […]
स्वार्थ सिद्ध में
स्वार्थ सिद्ध में नेताओं ने, अंगारों पर हमको डाला, गलतफहमियां पैदा कर, नफ़रत में हमको पाला। नाग विषैले छोड़ दिये हैं, जहर उगलने के खातिर, सच्चाई से दूर किया है, मिथ्या लेप से हमको ढ़ाला।। ईमान की कसमें खाकर बेइमान छुपे हैं खालों में, सच्चाई को फेंक के आये हैं ये बहते नालों में। जनमानस […]
शंकित थी प्रियंका
पीकर शराब इंसान शैतान बन गया था, छोड़कर ईमान युवा हैवान बन गया था। नोचा था बदन मिलकर, मार कर जलाया, दैत्यसुत का वो स्वयं पहचान बन गया था।। निकले थे जो कमाने, घर में दाल रोटी लाने, मां बाप के अरमान को, वो ही लगे जलाने। बन भेड़िया, समाज को ही जंगल बना कर, […]
यूँ जिंदगी मेरी नीलम कर गयी
यूँ जिंदगी मेरी नीलम कर गयी ********* यूँ जिंदगी मेरी नीलम कर गयी, ना चाहते हुए भी बदनाम कर गयी। पापा की थी परी जबसे हूर बन गयी, बदनाम कर के बाप को मशहूर बन गयी।। नाजों से तुमको पाला था नासूर बन गयी, खुशियों भरे भवन को गम में चूर कर गयी। मैं दोष […]
युगों युगों तक
युगों युगों तक कीर्ति आपकी नहीं मिटेगी, प्रलय तलक पदचिन्ह आपकी नहीं मिटेगी। यहां गौरव गाथा गीतों में बनकर गूंजेगी, पर मनुज रुप में किसी सदन में नहीं दिखेंगी।। आयेंगी लाखों पदचिन्ह पकड़कर सदन में, पर तीखे मीठे बोल आपके गूंजेगी ना सदन में। जो ओज आपमें, तेज आपमें झलक रहा, ऐसी कोई प्रतिभा अब […]