“दोहावली”
लिखने बैठा वयखता, किसका लिया उधार
पूछा माँ से तूँ बता, कैसे हौं उद्धार॥-1
बोली जननी लाड़ले, तूँ तो खाटी मूर
जा औरों से पूछ ले, देख रहे सब घूर॥-2
बोले पिता तपाक से, दे दे मेरा सूद
गिनती करिकरि थक गया, बैठा आँखें मूद॥-3
भैया भाभी सो गए, बंद किए किरदार
हिस्सा किस्सा चातुरी, बैर भाव अधिकार॥-4
अनुज मनुज बाँहें खड़ी, लिए लालसा आस
दीदी देखे दूर से, छोटी बहना पास॥-5
दरवाजे पर वह खड़ी, कर घूँघट पट ओट
अति न सहूँगी साजना, थाती छाती चोट॥-6
धीरज रख रे बांवरी, रहन सहन पटिदार
हीत मीत संगी सखा, जस नाविक पतवार॥-7
वृथा नहीं जाए कभी, नियत नशीहत नेह
बिन बादल नहि बादरी, गरजत बरसत मेह॥-8
पोथी लिखि लिखि घर भरा, पढ़ा नहीं इकबार
फेरि फेरि पन्ना पलट, कर ले वेड़ापार॥-9
मनन करें गौतम सभी, धीरज रखें न कोय
यदि मनवा धीरज धरे, दुख काहें को होय-10
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी