कविता

“दोहावली”

लिखने बैठा वयखता, किसका लिया उधार

पूछा माँ से तूँ बता, कैसे हौं उद्धार॥-1

बोली जननी लाड़ले, तूँ तो खाटी मूर

जा औरों से पूछ ले, देख रहे सब घूर॥-2

बोले पिता तपाक से, दे दे मेरा सूद

गिनती करिकरि थक गया, बैठा आँखें मूद॥-3

भैया भाभी सो गए, बंद किए किरदार

हिस्सा किस्सा चातुरी, बैर भाव अधिकार॥-4

अनुज मनुज बाँहें खड़ी, लिए लालसा आस

दीदी देखे दूर से, छोटी बहना पास॥-5

दरवाजे पर वह खड़ी, कर घूँघट पट ओट

अति न सहूँगी साजना, थाती छाती चोट॥-6

धीरज रख रे बांवरी, रहन सहन पटिदार

हीत मीत संगी सखा, जस नाविक पतवार॥-7

वृथा नहीं जाए कभी, नियत नशीहत नेह

बिन बादल नहि बादरी, गरजत बरसत मेह॥-8

पोथी लिखि लिखि घर भरा, पढ़ा नहीं इकबार

फेरि फेरि पन्ना पलट, कर ले वेड़ापार॥-9

मनन करें गौतम सभी, धीरज रखें न कोय

यदि मनवा धीरज धरे, दुख काहें को होय-10

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ