“दोहा मुक्तक”
शब्द — विश्व, जगत ,जग , भव ,संसार
पैसा पैसा जग करें, पैसा कर कर मैल
पहर चबैना खुश हुआ, नोट हजारी फैल
सो जाते थे चैन से, बंडल बिस्तर माथ
नींद खुली रंगत उड़ी, लुट गै बरबस छैल॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
शब्द — विश्व, जगत ,जग , भव ,संसार
पैसा पैसा जग करें, पैसा कर कर मैल
पहर चबैना खुश हुआ, नोट हजारी फैल
सो जाते थे चैन से, बंडल बिस्तर माथ
नींद खुली रंगत उड़ी, लुट गै बरबस छैल॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी